पहली छमाही में टॉप 50 कॉरपोरेट ने 60,000 करोड़ का कर्ज घटाया
नई दिल्ली.मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश के टॉप 50 कॉरपोरेट ने अपने कर्ज में 59,600 करोड़ रुपए की कमी की है। कंपनियों ने अपनी बैलेंस शीट सुधारने के लिए यह कदम उठाया। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि हालांकि इससे बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ पर असर पड़ा है क्योंकि घरेलू बाजार से कर्ज लेने में कमी आई है।
सूत्रों का कहना है कि 2018-19 की पहली छमाही में कंपनियों ने कर्ज में 43,000 करोड़ रुपए की कमी की थी। तुलनात्मक रूप से कम रेट पर उपलब्ध होने के कारण कंपनियों ने इस दौरान कर्ज जुटाने के लिए एक्सटर्नल कॉमर्शियल बारोइंग जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया। सूत्रों का कहना है कि आईबीसी जैसे लीगल फ्रेमवर्क के आने के कारण भी कंपनियां कर्ज कम करने में लगी हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इस साल अक्टूबर में इंडिया इंक ने 3410 करोड़ डॉलर जुटाए जो पिछले साल इसी महीने के मुकाबले दोगुना है। अक्टूबर 2018 में भारतीय कंपनियों ने 1410 करोड़ डॉलर जुटाए थे। इस दौरान जुटाए गए कुल फंड में 2870 करोड़ डॉलर ईसीबी के ऑटोमेटिक रूट से आए। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंज्यूमर क्रेडिट में ग्रोथ रही है, लेकिन कंपनियां अपने कर्ज में कमी कर रही हैं।
भारतीय फर्माें ने डेट मार्केट से 6.2 लाख करोड़ रुपए जुटाए
2019 में भारतीय कंपनियों ने 8.7 लाख करोड़ रुपए जुटाए
भारतीय कंपनियों ने 2019 में घरेलू और विदेशी मार्केट से 8.7 लाख करोड़ रुपए की राशि जुटाई। यह पिछले साल की तुलना में 20% ज्यादा है। डेट इंस्ट्रूमेंट इसके लिए कंपनियों का पसंदीदा जरिया रहा है। 8.68 लाख करोड़ रुपए में 6.2 लाख करोड़ रुपए भारतीय डेट मार्केट से और 1.2 लाख करोड़ रुपए विदेशी बॉन्ड से जुटाए गए। 1.25 लाख करोड़ रुपए इक्विटी मार्केट से हासिल किए गए। 2018 में भारतीय कंपनियों ने कुल 7.25 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। इसमें से 6 लाख करोड़ रुपए डेट मार्केट से और 73,300 करोड़ रुपए इक्विटी से और 46,500 करोड़ रुपए विदेशी साधनों से जुटाए गए थे।
बिजनेस बढ़ाने और लोन चुकाने के लिए कंपनियों ने जुटाई रकम
भारतीय कंपनियों में 2019 में जो फंड जुटाया उसका मुख्य मकसद बिजनेस को फैलाने और कर्ज उतारना रहा है। साथ ही वर्किंग कैपिटल जुटाना भी एक अहम मकसद रहा है। भारतीय डेट मार्केट से जो 6.2 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए, उनमें से 6 लाख करोड़ रुपए प्राइवेट प्लेसमेंट से और 16,425 करोड़ रुपए पब्लिक ईश्यू से जुटाए गए। विदेशी बॉन्ड बड़े कॉरपोरेट हाउस में लोकप्रिय साधन रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में कम ब्याज दर इसकी मुख्य वजह है। इक्विटी मार्केट में ज्यादातर फंड संसथागत निवेशकों को शेयर जारी कर हासिल किए गए हैं। 2019 में 16 मुख्य आईपीओ ने 12,365 करोड़ रुपए जुटाए।
बैंक क्रेडिट ग्रोथ 13.3% से गिरकर 6.5-7 फीसदी पर आने का अनुमान
इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक साल-दर-साल के आधार पर बैंक क्रेडिट ग्रोथ के गिरकर 6.5-7 फीसदी पर आने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में बैंक क्रेडिट ग्रोथ 13.3 फीसदी पर रही थी। सेक्टोरल आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में नॉन-फूड बैंक क्रेडिट ग्रोथ 8.3 फीसदी रही, इंडस्ट्री में क्रेडिट ग्रोथ 3.4 फीसदी पर रही और रिटेल लोन में 17.2 फीसदी की तेजी रही। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में बैंक क्रेडिट ग्रोथ महज 1.7 फीसदी पर रही जबकि पिछले साल इसी समय 6.7 फीसदी पर थी।
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