जिंदगी का असली मजा बिलियन डॉलर कंपनी बनाने में नहीं, बल्कि एक बिलियन विचारक और सीखने वाले तैयार करने में है: बायजू रविंद्रन

नई दिल्ली (कुलदीप सिंगोरिया). महज 38 साल की उम्र। पेशा इंजीनियरिंग और काम पढ़ाना। कभी दोस्तों की मदद के लिए पढ़ाया और फिर इसी को अपना काम बना लिया। अब इसी काम के बलबूते पर महज चार साल में ही फोर्ब्स की 100 सबसे अमीर भारतीयों की सूची में शामिल हुए। भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सरशिप से लेकर शाहरुख खान जैसे बॉलीवुड हस्तियों से अपने ब्रांड का प्रचार करवा रहे हैं। ऐसी ही कई पहचान जुड़ी हैं बायजू ऑनलाइन लर्निंग ऐप के फाउंडर और सीईओ बायजू रविंद्रन के साथ। दैनिक भास्कर से बातचीत में रविंद्रन ने शुरुआती संघर्ष से लेकर देशव्यापी सफलता तक की कहानी बताई।

बायजू शुरू करने का विचार कैसे आया?
शुरुआत प्रतियोगी परीक्षाओं में मेरे दोस्तों की मदद करने से हुई। उन्हें मैंने गाइड किया जिससे उन्होंने एक्जाम क्रैेक कर लिया। इसी आइडिया को हमने 100 छात्रों की एक वर्कशॉप में आजमाया। आगे चलकर स्टेडियम में एक साथ 20,000 छात्रों के लिए सेशन भी किया। इस दौरान मैंने पाया कि छात्रों के सीखने के तरीके में बहुत बड़ा अंतर था। उन्हें सीखने से प्यार नहीं था। वे तो सिर्फ परीक्षा के डर की वजह से रट्‌टामार लर्निंग कर रहे थे। लिहाजा, हम टेक्नोलॉजी के उपयोग के जरिए सीखने के प्रति उनमें प्यार को विकसित करना चाहते थे। बारहवीं तक के छात्रों पर फोकस कर हमने थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसी के तहत अगस्त 2015 में बायजू एप लॉन्च किया। आज हमारे पास चार करोड़ सब्स्क्राइबर हैं जिनमें से 28 लाख पेड सब्स्क्राइबर हैं।

विचार को अमलीजामा कैसे पहनाया?
मैंने कोई बिजनेस नहीं किया था। इसलिए मैं और मेरी टीम काम करती और फिर इससे सीखती। हमने व्यापार मॉडल से लेकर उसके विस्तार और धन जुटाने तक की कला सीखी। वैसे भी हम सिखाने का काम करते हैं तो फिर खुद भी सीख कर आंत्रप्रेन्योरशिप करते हैं। हमने बायजू के सामने आने वाली चुनौतियों को समझा।


आपकी कोर टीम कैसे काम करती है?
जब हम शुरुआती दौर में थे तब मेरे छात्रों ने मुझे अपनी कक्षाओं का विस्तार करने में मदद की। इन्हीं छात्रों ने बाद में कंपनी की कोर टीम का गठन किया। यही टीम अब कंटेंट डेवलपमेंट, सेल्स और मार्केटिंग से लेकर कंपनी के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को चला रही है। बायजू की टीम को सिर्फ एक लत है, वह है हमारे छात्रों में सीखने की लत की आदत डालना। यह जुनून कंपनी में ऊपर से नीचे तक देखा जा सकता है।


अध्यापक से उद्यमी कैसे बन पाए?
मैं पेशे से इंजीनियर, संयोग से उद्यमी और पसंद से शिक्षक बना हूं। मैंने कभी भी अपने काम को व्यवसाय के रूप में शुरू करने की योजना नहीं बनाई थी। मैंने बस अपने जुनून का पीछा किया और उसे पूरा करने के लिए अपनी ताकत पर निवेश किया। बाद में यह एक व्यवसाय बन गया। मेरा मानना है कि अगर आप वास्तव में समाज की जरूरत को समझकर प्रभाव पैदा करने की क्षमता रखते हैं तो यह उद्यमी होने के बारे में सबसे अच्छा अहसास है। पैसा कमाने के जुनून से कोई व्यवसाय संचालित नहीं हो सकता बल्कि समाज को बदलने का जुनून कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यहां असली मजा एक बिलियन डॉलर कंपनी बनाने में नहीं, बल्कि एक बिलियन विचारक और सीखने वाले बनाने में है।


क्या अब भी पढ़ाते हैं?
मुझे इन दिनों सिखाने के लिए पहले जितना समय नहीं मिलता। मुझे खुशी है कि मेरे कई छात्र आज मुझसे बेहतर काम कर रहे हैं। हमारे पास ऐसे शिक्षक हैं, जो आज मुझसे बेहतर हैं। शिक्षण सबसे रचनात्मक और शक्तिशाली कामों में से एक है। बच्चों पर शिक्षक का आजीवन प्रभाव पड़ता है, जो उनके दिमाग को आकार देने से लेकर उनके विचारों और कल्पनाओं के लिए उन्हें लॉन्च पैड देने तक में मदद करता है।


अब आपका अगला लक्ष्य क्या है?
हमारा ध्यान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार करने और बायजू को एक वैश्विक ब्रांड बनाने पर है। हम देश के दूरस्थ भागों में भी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण सामग्री और शिक्षकों की पहुंच प्रदान करने के लिए स्थानीय भाषाओं पर काम कर रहे हैं। हमने हिंदी में भाषा स्विच विकल्प भी लॉन्च किया है। वैसे, कई स्थानीय भाषाओं में सीखने के कार्यक्रमों की उपलब्धता से हर नुक्कड़ में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ होगी और बेहतर जीवन जीने की उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकेगा।


युवा उद्यमियों के लिए कोई सुझाव ?
जब आप वह करते हैं जो आपका पसंदीदा व जुनूनी काम है तब आप स्व प्रेरित होते हैं। बड़ा सोचना, उच्च आकांक्षा, प्लान करना और तेजी से क्रियान्वयन करने का गुण होना चाहिए। यदि आप अपने विचार के लिए जुनूनी है तब शुरुआत से ही कड़ी मेहनत करें।

बायजू में रविंद्रन की 21% हिस्सेदारी, नेटवर्थ 13571 करोड़ रुपए
एक रिपोर्ट के मुताबिक बायजू में रविंद्रन की 21 फीसदी हिस्सेदारी है। रविंद्रन के पास 1.91 अरब डॉलर (करीब 13,571 करोड़ रुपए) की संपत्ति आंकी गई है। हाल में निवेश के ताजा चरण में कतर इनवेस्टमेंट अथॉरिटी की ओर से बायजू में 15 करोड़ डॉलर का निवेश किए जाने के बाद बायजू रविंद्रन की संपत्ति का मूल्य 100 करोड़ डॉलर पार कर गया था।



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बायजू के फाउंडर बायजू रविंद्रन।


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