RBI से सरकार को मिली बड़ी चेतावनी, सितंबर 2020 में बढ़ेगा बैंकों का NPA
नई दिल्ली। देश की इकोनॉमी लंबे समय से भारी सुस्ती के दौर से गुजर रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) की ओर से सरकार को चेतावती भरे शब्दों में कहा कि आने वाले 9 महीनों में देश के बैंकों के एनपीए ( banks NPA ) में और इजाफा हो हो सकता है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लोन का भुगतान करने में नाकामी तथा क्रेडिट ग्रोथ में कमी को इसका कारण बताया है। आरबीआई ( rbi ) ने यह बातें साल में दो बार जून तथा दिसंबर में प्रकाशित होने वाले फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट ( Financial Stability Report ) में कहा है। इस रिपोर्ट में आरबीआई ने एवरेज रेटिंग वाली कंपनियों द्वारा रेटिंग शॉपिंग के प्रति भी ध्यान दिलाया है।
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जाएंट्स कंपनियों के पास कैश की कोई कमी नहीं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जाएंट्स कंपनियों के पास कैश की कोई कमी नहीं है। जिसकी वजह से उन्हें लोन की जरुरत नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरा क्रेडिट ग्रोथ रेट में कमी है। रिपोर्ट की मानें तो सितंबर 2019 में सरकारी बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ सिर्फ 8.7 फीसदी रह गया था। जबकि प्राइवेट बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ 16.5 फीसदी पर आ गया था।
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सीएआर और पीसीआर का इजाफा
आरबीआई ने गंभीर और चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि पुनर्पूंजीकरण के बाद सरकारी बैंकों के बैंकों पूंजी पर्याप्तता अनुपात सितंबर 2019 में बढ़कर 15.1 फीसदी पर आ गय है। अगर बात प्रोविजन कवरिंग रेशियो की करें तो वो भी बढ़कर 61.5 फीसदी पर आया है, जो निछले साल समान अवधि में 60.5 फीसदी था।
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ग्रॉस एनपीए में होगा इजाफा
आरबीआई ने बैंकों के एनपीए को लेकर काफी गंभीर बात कहा है कि देश के सभी बैंकों का एनपीए में इजाफा होगा। आने वाले 9 महीने में देश का ग्रॉस एनपीए सितंबर 2020 में 9.9 फीसदी पर आ जाएगा। जबकि सितंबर 2019 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए 9.3 फीसदी था। सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए की बात करें तो सितंबर 2020 में 13.2 फीसदी पर पहुंच जाएगा। जबकि सितंबर 2019 में यह 12.7 फीसदी था। वहीं प्राइवेट बैंकों का यह आंकड़ा 3.9 फीसदी से 4.2 फीसदी हो जाएगा। विदेशी बैंकों के लिए यह आंकड़ा 2.9 से बढ़कर 3.1 फीसदी पर आ जाएगा। रिजर्व बैंक के अनुसार प्रोविजनिंग बढऩे की वजह से भारतीय बैंकों का शुद्ध एनपीए सितंबर 2019 में घटकर 3.7 फीसदी पर पहुंच गया था।
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