चीनी कंपनियों पर शिकंजें की जैयारी, डीओटी की मंजूरी के बिना सरकारी प्रोजेक्ट में नहीं ले सकेंगी हिस्सा

नई दिल्ली.केंद्र सरकार ने चीनी कंपनियों के खिलाफ शिकंजा कसने का काम कर दिया है। इस बाबत केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्यूनिकेशन (डीओटी) को यह अधिकारदिया कि वहचीनी टेलीकॉमइक्यूपमेंट सप्लायर कंपनियों को सरकारी टेंडर में हिस्सा लेने से रोक सकती है।

सरकारी प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध की तैयारी

सरकारी प्रोजेक्ट जैसे रेलवे, स्मार्ट सिटी मिशन और राज्य सरकार के फाइबर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, भारत नेट, ग्राम पंचायतों में इंटरनेट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए टेंडर जारी किए जाते हैं। हालांकि सरकार की नई अधिसूचना से चीनी कंपनियां जैसे हुआवे, जेडटीई, यूटीस्टारकॉम पर सीधा असर होगा। यह टेलीकॉम कंपनियां अनुमति के बगैर सरकारी प्रोजेक्ट में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। अधिसूचना के बाद चीनी कंपनियां 8 आइटम जैसे ऑप्टिकल फाइबर, 2जी, 3जी,4जी, एलटीई मॉडम, राउटर, वाई-फाई बेस्ड ब्राडबैंड वायरलेस सिस्टम और जीपीओएन इक्यूपमेंट की सप्लाई को प्रतिबंधित किया जा सकेगा। नोटिफिकेसन में चीन का जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन साफ है कि सरकार नहीं चाहती है कि भारतीय टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में चीनी कंपनियों कि हिस्सेदारी बढ़े।

ट्रंप के दौरे से पहले लिया गया फैसला

सरकार की ओर से यह नोटिफिकेशन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के एक दिन पहले लिया गया है। बता दें कि ट्रंप आरोप लगाते रहे हैं कि चीनी टेलीकॉम कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा हैं। अमेरिका लंबे वक्त से अमेरिकी सहयोगी देशों पर चीनी टेलीकॉम कंपनियों को 5जी नेटवर्क में हिस्सेदारी पर प्रतिबंध लगाने का दबाव बनाता रहा है।



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ट्रंप आरोप लगाते रहे हैं कि चीनी टेलीकॉम कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा हैं


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