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एशिया में चावल की कीमतें 7 साल के उच्च स्तर पर, चावल एक हफ्ते में 12% महंगा हुआ
कोरोनावायरस की वजह से चावल और गेहूं की कीमतों में उछाल आई है। एशिया में चावल की कीमतें 7 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक टुकड़ी चावल की कीमतों में 25 मार्च से 1 अप्रैल के बीच 12% तेजी आ चुकी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अप्रैल 2013 के बाद चावल की कीमतें सबसे उच्च स्तर पर हैं। कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि, पर्याप्त सप्लाई के बावजूद चावल का स्टोरेज किया जा रहा है। भारत और विएतनाम से एक्सपोर्ट बाधित होने की वजह से थाई चावल की मांग बढ़ने की भी उम्मीद है।
बुवाई का सीजन होने की वजह से ज्यादा दिक्कतें
इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर के रीजनल डायरेक्टर (एशिया), समरेंदु मोहंती का कहना है कि दूसरे सेक्टर की तरह एग्रीकल्चर सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन की अवधि की बजाय इसका समय ज्यादा असर डाल रहा है क्योंकि, प्लांटिंग के सीजन में चूक गए तो पूरे साल फसल नहीं हो पाएगी।
एक्सपोर्टर नए कॉन्ट्रैक्ट नहीं ले रहे
दुनिया में सप्लाई होने वाले चावल का 90% प्रोडक्शन एशिया में होता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के चावल कारोबारी एक्सपोर्ट के नए कॉन्ट्रैक्ट नहीं ले रहे क्योंकि, लॉकडाउन की वजह से मजदूर नहीं हैं और पहले के कॉन्ट्रैक्ट की डिलीवरी भी नहीं हो पा रही। दूसरी ओर विएतनाम सरकार ने एक्सपोर्ट घटा दिया है।
खेती से जुड़े कामों के लिए लेबर नहीं मिल रही
थाइलैंड में सूखा पड़ने और एशिया-अफ्रीका के कारोबारियों की ओर से मांग बढ़ने के चलते चावल की कीमतों में उछाल वैसे तो 2019 के आखिर में ही शुरू हो गया था लेकिन, अब स्थिति और बिगड़ गई है। भारत और दक्षिण एशियाई देशों की तरह दुनिया के दूसरे देशों में भी गेहूं, आलू, कपास, फल और सब्जियों की बुवाई का सीजन है। इसके लिए खेती से जुड़े मजदूरों की जरूरत है, लेकिन कोरोना का संक्रमण फैलने और लॉकडाउन की वजह से लेबर नहीं मिल पा रही।
इस साल महंगाई दर ज्यादा रहेगी
दुनियाभर में चावल ही नहीं बल्कि गेहूं की कीमतों में भी उछाल आई है। उत्तरी अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों में लॉकडाउन की वजह से गेहूं की मांग बढ़ी है। ऐसे में मार्च के दूसरे पखवाड़े में गेहूं की कीमतों में 15% तेजी आई। विश्लेषकों का कहना है कि गेहूं और चावल आने वाले दिनों में भी महंगे होंगे।
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बुवाई का सीजन होने की वजह से ज्यादा दिक्कतें
इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर के रीजनल डायरेक्टर (एशिया), समरेंदु मोहंती का कहना है कि दूसरे सेक्टर की तरह एग्रीकल्चर सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन की अवधि की बजाय इसका समय ज्यादा असर डाल रहा है क्योंकि, प्लांटिंग के सीजन में चूक गए तो पूरे साल फसल नहीं हो पाएगी।
एक्सपोर्टर नए कॉन्ट्रैक्ट नहीं ले रहे
दुनिया में सप्लाई होने वाले चावल का 90% प्रोडक्शन एशिया में होता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के चावल कारोबारी एक्सपोर्ट के नए कॉन्ट्रैक्ट नहीं ले रहे क्योंकि, लॉकडाउन की वजह से मजदूर नहीं हैं और पहले के कॉन्ट्रैक्ट की डिलीवरी भी नहीं हो पा रही। दूसरी ओर विएतनाम सरकार ने एक्सपोर्ट घटा दिया है।
खेती से जुड़े कामों के लिए लेबर नहीं मिल रही
थाइलैंड में सूखा पड़ने और एशिया-अफ्रीका के कारोबारियों की ओर से मांग बढ़ने के चलते चावल की कीमतों में उछाल वैसे तो 2019 के आखिर में ही शुरू हो गया था लेकिन, अब स्थिति और बिगड़ गई है। भारत और दक्षिण एशियाई देशों की तरह दुनिया के दूसरे देशों में भी गेहूं, आलू, कपास, फल और सब्जियों की बुवाई का सीजन है। इसके लिए खेती से जुड़े मजदूरों की जरूरत है, लेकिन कोरोना का संक्रमण फैलने और लॉकडाउन की वजह से लेबर नहीं मिल पा रही।
इस साल महंगाई दर ज्यादा रहेगी
दुनियाभर में चावल ही नहीं बल्कि गेहूं की कीमतों में भी उछाल आई है। उत्तरी अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों में लॉकडाउन की वजह से गेहूं की मांग बढ़ी है। ऐसे में मार्च के दूसरे पखवाड़े में गेहूं की कीमतों में 15% तेजी आई। विश्लेषकों का कहना है कि गेहूं और चावल आने वाले दिनों में भी महंगे होंगे।
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