लॉकडाउन बढ़ने पर भारत में कोरोनावायरस से नहीं भूख से होंगी ज्यादा मौतें, सरकार इमोशन नहीं प्रैक्टिकल आधार पर करे फैसला
कोरोनावायरस (कोविड-19) संक्रमण फैसले के डर की वजह से भारत में लॉकडाउन जारी है। 23 मार्च 2020 को हुए लॉकडाउन का एक माह से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। केंद्र सरकार 3 मई को लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला करेगी। लेकिन इससे पहले ही कुछ राज्य सरकारें लॉकडाउन को बढ़ाने की मांग करने लगी हैं। हालांकि, अब केंद्र और राज्य सरकारों के लॉकडाउन बढ़ाने के फैसले के खिलाफ आवाजें मुखर होने लगी हैं। इसमें सबसे पहला नाम इंफोसिस के फाउंडर एन. आर नारायण मूर्ति का आता है।
लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर सरकार को किया आगाह
एन. आर नारायण मूर्ति ने एक वेबनार में सरकार के लॉकडाउन बढ़ाने के फैसले को लेकर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन 3 मई के बाद भी जारी रहता है, तो कोरोनावायरस नहीं भूख से होंगी ज्यादा मौतें। मूर्ति ने कहा कि हमें समझना चाहिए कि भारत लंबे वक्त तक लॉकडाउन की स्थिति को झेलने में सक्षम नहीं है, क्योंकि अगर लॉकडाउन आगे बढ़ता है, तो एक वक्त ऐसा आएगा, जब कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा मौतें भारत में भूख से होने लगेंगी। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की तुलना में भारत में कुल कोरोनावायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या काफी कम है। साथ ही वायरस से मरने वालों की दर महज 2.25 से 0.50 फीसदी है। भारत में वायरस के फैलने रफ्तार काफी कम रही है। भारत में कोविद -19 के कुल पॉजिटिव लोगों की संख्या 31,000 से अधिक है। वहीं जनवरी को पहले संक्रमण के बाद अब तक करीब 1,008 लोगों की मौत हो गई है।
लोगों से काम पर लौटने की मांग
नारायण मूर्ति कहा कि लोगों को काम लौटना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि कोरोनावायरस एक नए तरह का सामान्य सा वायरस है। नारायण मूर्ति ने कहा कि भारत में कोरोनावयरस की टेस्टिंग की रफ्तार काफी धीमी है। उन्होंने भारतीय स्टार्टअप और उद्यमियों को टेस्टिंग और वैक्सीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की सलाह दी। साथ ही सरकार को भी सलाह देते हुए कहा कि केंद्र सरकार मैथमेटिकल डेटा आधारित एनालिटिकल इनपुट के आधार पर लॉकडाउन को लेकर फैसला करें। उन्होंने कहा कि सरकार को इमोशन होकर फैसले लेने से बचना चाहिए।
कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या भारत में विकसित देशों की तुलना में कम
भारत में कोरोनावायरस के अलावा कई अन्य तरह से सालभर में करीब 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है। साथ ही प्रदूषण की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित देश है। जब आप देखते हैं, कि भारत में प्रॉकृतिक तरीके से सालभर में 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है, तो पिछले दो माह में कोरोनावायरस से होने वाली 1000 मौतें कम लगने लगती हैं। मूर्ति ने कहा कि भारत में करीब 190 मिलियन लोग अस्थायी सेक्टर और स्वरोजगार से जुड़े हैं। ऐसे में लॉकडाउन बढ़ने की वजह से यह सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। अस्थायी सेक्टर भारत से सबसे ज्यादा आबादी को रोजगार देता है। मूर्ति के मुताबिक लॉकडाउन से कारोबारियों का रेवेन्यू 15 से 20 फीसदी घट सकता है। इससे सरकार को मिलने वाला टैक्स और जीएसटी कलेक्शन भी घट जाएगा। इंटरनेशल मॉनिटरी फंड ने इस साल भारत की विकास दर को घटाकर 1.9 फीसदी कर दिया है, जो कि पहले तक 4.5 फीसदी अनुमानित थी।
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