CBDT ने सर्कुलर जारी कर कहा ; नए सिस्टम के तहत देना चाहते हैं टैक्स तो पहले इम्प्लॉयर को दें जानकारी
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने सोमवारको एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अगर कोई कर्मचारी नई टैक्स व्यवस्था को अपनाना चाहता है, तो इस बारे में अपने इम्प्लॉयर (नियोक्ता) को पहले से ही बताना होगा। ताकि इससे उन्हें सैलरी पेमेंट के दौरान इसी आधार पर टैक्स (TDS) कटौती की जा सके। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था का ऐलान किया था। करदाता अपने हिसाब से पुरानी या नई प्रणाली को चुन सकते हैं।
सेंट्रल बोर्ड आफ डायरेक्ट ने क्या कहा?
सेंट्रल बोर्ड आफ डायरेक्ट (CBDT) ने इस सर्कुलर में कहा कि अगर कोई कर्मचारी नए टैक्स सिस्टम के आधार पर टैक्स देना चाहते तो इसके लिए उन्हें अपने नियोक्ता या टैक्स डिडक्टर को इस बारे में पहले से ही जानकारी देनी होगी। डिडक्टर को इनकम टैक्स के सेक्शन 115 BAC के तहत किसी भी कर्मचारी का टैक्स कैलकुलेट करना होगा और TDS काटना होगा। अगर कोई कर्मचारी नए टैक्स सिस्टम को अपनाने के बारे में जानकारी नहीं देता है तो नियोक्ता को सेक्शन 115 BAC के प्रावधान के बिना ही TDS काटना होगा। '
क्या है नए टैक्स सिस्टम में प्रावधान
नई व्यवस्था में करदाता के लिए कर की दरें कम रखीं गई हैं लेकिन हाउस रेंट अलाउंस (HRA), होम लोन पर ब्याज, LIC में निवेश सहित धारा 80C, 80D और 80CCD के तहत मिलने वाली कर छूट का लाभ इसमें नहीं दिया जाएगा। कम कर दर वाली इस आयकर प्रणाली को वैकल्पिक रखा गया है। नई व्यवस्था के तहत सालाना 2.5 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले व्यक्ति को कोई टैक्स नहीं देना होता है। नई व्यवस्था में किसे देना कितना ब्याज
इनकम (रु.) |
टैक्स (%) |
2.5 लाख | 0 |
2.5-5 लाख | 5 |
5.-7.5 लाख | 10 |
7.5-10 लाख | 15 |
10-12.5 लाख | 20 |
12.5-15 लाख | 25 |
15 से ज्यादा | 30 |
पुराने सिस्टम से कितना टैक्स?
पुराने सिस्टम के तहत 2.5 लाख रुपए तक सालाना व्यक्तिगत आमदनी टैक्स मुक्त है। 2.5 लाख से 5 लाख तक की आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 5 लाख से 10 लाख की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स लगता है और 10 लाख से अधिक आमदनी पर 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। हालांकि इसमें आपको एचआरए, निवेश सहति कई तरह की छूट का विकल्प भी मिलता है।
क्या है टीडीएस?
टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा है। इसका मतलब होता है 'टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स।' यह इनकम टैक्स को आंकने का एक तरीका हैं। सैलरी पेशा लोगों की कुल इनकम पर टीडीएस की कटौती की जाती है। इससे कर्मचारी खुद टैक्स भुगतान करने की परेशानी से बच जाता है।
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