कोरोना की संजीवनी Hydroxychloroquine, क्या भारत का नया रणनीतिक हथियार है ?

नई दिल्ली: 19 मार्च को जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में आ चुकी थी, उस वक्त अमेरिका को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने 70 साल पुरानी मलेरिया विरोधी दवाई hydroxychloroquine को गेमचेंजर बताया। उस वक्त किसी को ये अहसास नहीं था कि ये एक छोटी सी गोली बड़े-बड़े देशों को भारत के सामने झुकने पर मजबूर कर देगी। hydroxychloroquine के लिए दुनिया भारत के आगे हाथ फैलाए खड़ी है क्‍योंकि इसकी पूरी सप्‍लाई का 70 फीसदी हमारे ही देश में बनता है।

आज की तारीख में सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि ब्राजील और कई अन्य देश इस दवाई के लिए भारत से मांग कर चुके हैं। पूरी दुनिया जानचुकी है कि कोरोना से लड़ाई में ये छोटी सी गोल गेमचेंजर है । यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इसकी सप्लाई के कभी पुचकारते तो कभी आंखे तरेरते नजर आए। उनके इस तरह हर दिन बदलते तेवर इस बात का साफ इशारा कर रहे थे कि उन्हें किसी भी कीमत पर ये दवाई चाहिए। भारत ने ट्रंप की डिमांड को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर लगा बैन हटा दिया है। और नतीजा महीनों बाद शेयर बाजार उछलता नजर आया । लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या भारत जो खुद कोरोना की चपेट में आ चुका है वो पूरी दुनिया को ये संजीवनी बांटने के बाद भी अपनी 130 करोड़ की जनता के लिए इसे रख पाएगा।

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एक महीने का बफर स्टॉक है भारत के पास-

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पूरी दुनिया को देने के बाद भी भारत के पास अभी इतना स्टॉक है कि अगले एक महीने तक इस दवा की कमी नहीं होगी । मंत्रालय का कहना है कि उनके पास फिलहाल 3 करोड़ से ज्यादा टैबलेट्स का स्टॉक है।

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30 दिन में 20 करोड़ टैबलेट बनाने की है क्षमता-

वहीं इंडियन फार्मास्‍यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन की मानें , हमारे पास इस दवा को बनाने की कैपासिटी इतनी है कि वह एक महीने में 40 टन hydroxychloroquine (HCQ) प्रोड्यूस कर सकता है। दूसेरर शब्दों में कहे तो इससे 20 मिलीग्राम की 20 करोड़ टैबलेट्स बनाई जा सकती हैं। चूंकि यह दवा ह्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस और लूपुस और शुगर पेशेंट्स के लिए भी इस्‍तेमाल होती है, इसका प्रोडक्‍शन अभी और भी बढ़ाया जा सकता है। भारत में इस दवा को Ipca Laboratories, Zydus Cadila औार Wallace Pharmaceuticals जैसी कंपनियां बनाती है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने हाल ही में Ipca और Zydus Cadila को HCQ की 10 करोड़ टैबलेट्स बनाने का ऑर्डर दिया है।

45 देश कर रहे हैं इस दवा की मांग- भारत अब तक 25 देशों को ये दवाई निर्यात करने की हामी भर चुका है लेकिन hcq की मांग करने वाले देशों की लिस्ट लगातार लंबी होती जा रही है। खास बात ये भी है कि इसमें कनाडा और ब्राजील जैसे देश भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि खबर लिखे जाने तक 45 देश इस दवा के लिए भारत सरकार से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी भारत उनकी मांगों पर कर रहा है। ( अपने देश की जरूरत पूरी करने के बाद ही भारत बाकी देशों को देगा, हालांकि भारत ने बीते सप्ताह ही कंपनियों से इसके प्रोडक्शन को बढ़ाने की बात कही है। )

 

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चीन की है महत्वपूर्ण भूमिका- इस पूरे परिदृश्य में भारत विश्व के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है लेकिन चीन इसके लिए भी महत्वपूर्ण है। दरअसल HCQ बनाने के लिए जिन एक्टिव फार्मास्‍यूटिकल्‍स इंग्रीडिएंट्स (API) की जरूरत पड़ती है और भारत को ये चीन से आयात करना पड़ता है । अभी तक तो चीन की तरफ से सप्लाई ठीक है लेकिन अमेरका के तेवर देख कहीं चीन बदल न जाए इसलिए भारत को रणनीतिक तौर पर दवा से ज्यादा api संग्रह की जरूरत है ताकि हम किसी भी तरह के हालात बनने पर विश्व को ये संजीवनी बांटने में सक्षम रहें।



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