जियो प्लेटफॉर्म्स में अब माइक्रोसॉफ्ट खरीदेगी 2.5% से ज्यादा हिस्सेदारी, 15 हजार करोड़ रुपए का हो सकता है निवेश

अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की डिजिटल आर्म जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड में 2.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकती है। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट आरआईएल के साथ बातचीत कर रही। इस मामले से वाकिफ दो सूत्रों के हवाले से लाइव मिंट की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

करीब 15 हजार करोड़ रुपए का होगा निवेश

एक सूत्र ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट अपने डिजिटल पेमेंट्स सेवा को लेकर कई इंडस्ट्री प्लेयर्स से बातचीत कर रही है। रिलांयस के साथ बातचीत में माइक्रोसॉफ्ट ने जियो प्लेटफॉर्म्स की 2.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट 2 बिलियन डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। दूसरे सूत्र ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट पहले से ही जियो प्लेटफॉर्म्स के साथ जुड़ी है और वह अपनी इस भागीदारी को और मजबूत करना चाहती है। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि माइक्रोसॉफ्ट, जियो प्लेटफॉर्म्स में निश्चित तौर पर निवेश करेगी।

फरवरी में हुई थी माइक्रोसॉफ्ट-रिलायंस जियो में पार्टनरशिप

इसी साल फरवरी में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने रिलायंस जियो से साथ पार्टनरशिप की घोषणा की थी। इस पार्टनरशिप के तहत रिलायंस जियो पूरे देश में डाटा सेंटर स्थापित करेगी। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट की एज्यूर की सेवाएं ली जाएंगी। हालांकि, इस संभावित निवेश को लेकर माइक्रोसॉफ्ट और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

जियो प्लेटफॉर्म्स को अब तक 78562 करोड़ रुपए का निवेश मिला

रिलायंस इंडस्ट्रीज के डिजिटल प्लेटफॉर्म जियो प्लेटफॉर्म्स को अब तक 17.12 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 78562 करोड़ रुपए का निवेश मिल चुका है। इसमें फेसबुक का 43,574 करोड़ रुपए, सिल्वर लेक का 5656 करोड़ रुपए, विस्टा इक्विटी का 11,367 करोड़ रुपए, जनरल अटलांटिक का 6598 करोड़ रुपए और केकेआर का 11,367 करोड़ रुपए का निवेश शामिल हैं।

अमेरिकी कंपनियों की पसंद बना जियो प्लेटफॉर्म्स

निवेश के लिहाज से आरआईएल का जियो प्लेटफॉर्म्स अमेरिकी कंपनियों की पहली पसंद बना हुआ है। यही कारण है कि अभी केवल अमेरिकी कंपनियों ने ही जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश की घोषणा की है। अभी तक निवेश करने वाली फेसबुक, सिल्वर लेक, विस्टा इक्विटी पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक और अब केकेआर एंड कंपनी सभी अमेरिकी कंपनी हैं। अब अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी निवेश की इच्छा जताई है। हालांकि, आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी पहले कह चुके हैं कि कई वैश्विक निवेशक जियो प्लेटफॉर्म में निवेश करने के इच्छुक हैं।

आरआईएल की डिजिटल सब्सिडियरी है जियो प्लेटफॉर्म
जियो प्लेटफॉर्म्स रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल सब्सिडियरी है। यह कंपनी आरआईएल ग्रुप के डिजिटल बिजनेस एसेट्स जैसे रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड, जियो ऐप्स और हैप्टिक, रिवायर, फाइंड, नाउफ्लोट्स, हैथवे और डैन समेत कई अन्य एंटीटी में निवेश का संचालन करती है।

इस साल दिसंबर तक कर्ज मुक्त कंपनी बन सकती है रिलायंस इंडस्ट्रीज

रिलायंस इंडस्ट्र्रीज के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने पिछले साल अगस्त में आरआईएल को मार्च 2021 तक नेट आधार पर कर्ज मुक्त कंपनी बनाने का लक्ष्य तय किया था। फेसबुक सौदा, 53,125 करोड़ रुपए के राइट्स इश्यू, निजी इक्विटी निवेश और सऊदी अरैमको सहित कई और कंपनियों को हिस्सेदारी बेचे जाने से कर्ज मुक्ति का लक्ष्य इस साल दिसंबर में ही पूरा हो जाने की उम्मीद है।

रिलायंस इंडस्ट्र्रीज पर मार्च में था 1,61,035 करोड़ रुपए का शुद्ध कर्ज

मार्च तिमाही के अंत में रिलायंस पर 3,36,294 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया था। उस समय कंपनी के पास 1,75,259 करोड़ रुपए की नकदी थी। कर्ज को नकदी के साथ एडजस्ट करने के बाद कंपनी का नेट कर्ज 1,61,035 करोड़ रुपए था। कंपनी पर जो कर्ज बकाया है, उसमें से 2,62,000 करोड़ रुपए का कर्ज रिलायंस के बैलेंसशीट पर है और 23,000 करोड़ रुपए का कर्ज जियो पर है।



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अब तक अमेरिकी कंपनी फेसबुक, सिल्वर लेक, विस्टा इक्विटी पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक और केकेआर एंड कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश की घोषणा कर चुकी हैं


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