सरकार फिर घटा सकती है प्रॉविडेंट फंड की 8.5% की ब्याज दर, ईपीएफओ जल्द कर सकता है इसकी घोषणा

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2020 के लिए घोषित 8.5% ब्याज दर को कम कर सकता है। निवेश पर रिटर्न लगातार घट रहा है, जिसके चलते ईपीएफओ द्वारा प्रोविडेंट फंड पर दिए जाने वाले ब्याज को घटाने पर विचार किया जा रहा है।

बता दें कि ईपीएफओ की ब्याज दर पहले 8.65 फीसदी थी, जिसे मार्च में घटाकर 8.50 फीसदी किया गया था। अब फिर से इसे घटाने पर विचार किया जा रहा है।

सरकार जल्द ले सकती है फैसला
सूत्रों के मुताबिक ब्याज दरों पर निर्णय लेने के लिए ईपीएफओ का फाइनेंस डिपार्टमेंट, इन्वेस्टमेंट डिपार्टमेंट और ऑडिट कमेटी जल्द ही एक बैठक करने वाले हैं। इसमें ये तय किया जाएगा कि ईपीएफओ कितना ब्याज दर देने की हालत में है।

मार्च की शुरुआत में नई ब्याज दर 8.5 फीसदी की घोषणा हुई थी, लेकिन अभी तक उसे वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल सकी है। श्रम मंत्रालय इसके बारे में तभी नोटिफाई करेगा, जब वित्त मंत्रालय इसे अपनी मंजूरी दे देता है।

ट्रेड यूनियन इसका विरोध करेंगे
ट्रेड यूनियन जो ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी मंडल का हिस्सा है उसने कहा कि वे इस कदम का विरोध करेंगे। भारतीय मजदूर संघ के बृजेश उपाध्याय ने कहा, "हम पहले से घोषित ब्याज दर पर किसी भी पुनर्विचार के लिए सहमत नहीं हैं, क्योंकि पिछले वित्तीय वर्ष में निवेश पर रिटर्न लेने के बाद इस पर सहमति की घोषणा की गई थी।"

ईपीएफओ ने 18 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें से करीब 4500 करोड़ रुपए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशल सर्विसेज में लगाए गए हैं। इन दोनों को ही भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

PF पर ब्याज घटने का असर
ईपीएफओ अपने सालाना एक्रुअल्स का 85 प्रतिशत हिस्सा डेट मार्केट में और 15 प्रतिशत हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के जरिए इक्विटीज में लगाता है। पिछले साल मार्च के अंत में इक्विटीज में ईपीएफओ का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपए का था और उसे 14.74% का रिटर्न मिला था। हालांकि, सरकार को यह भी ध्यान में रखना होगा कि पीएफ पर ब्याज दर घटने से वर्कर्स का सेंटिमेंट खराब होगा।

कर्मचारियों, कंपनियों के लिए राहत भरे कदम
सरकार ने मार्च के बाद कर्मचारियों और नियोक्ताओं को कोविड-19 संकट से उबरने के लिए भविष्य निधि से संबंधित कई राहत उपायों की घोषणा की है। सरकार ने पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10% करने का फैसला किया है।

कर्मचारी अब पीएफ खाते में से तीन महीने की बेसिक सैलरी और डीए या पीएफ में जमा रकम के 75 फीसदी में से जो कम हो, उतनी रकम निकाल सकते हैं। इस रकम को दोबारा इसमें जमा करने की जरूरत नहीं है।



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मार्च की शुरुआत में नई ब्याज दर 8.5 फीसदी की घोषणा हुई थी, लेकिन अभी तक उसे वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल सकी है


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