EMI के जरिए क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट का बना रहे हैं प्लान, तो पहले जान लें कि इस पर देना होगा अलग से ब्याज

कोरोना वायरस के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई है तो कईयों की सैलरी में कटौती की गई है। इसके चलते लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान करने में परेशानी हो रही है। अगर आपके सामने भी यही समस्या है और आप क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान ईएमआई (किस्तों) में करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा। जो आपकी जेब पर अतिरिक्त भर डालेगा। हम आपको बता रहे हैं कि ऐसा करना सही रहेगा या नहीं?


कैसे काम करता है ईएमआई का विकल्प?
अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल को एक साथ नहीं भर पा रहे हैं तो इसे ईएमआई में बदल सकते हैं। ऐसा करने पर क्रेडिट कार्ड बिल छोटी-छोटी किस्‍तों में हर महीने वसूला जाएगा। बिल की जितनी रकम ईएमआई में बदली जाती है, आमतौर बैंक उतनी कार्ड लिमिट को अस्‍थायी तौर पर घटा देते हैं। जो ईएमआई के भुगतान के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है। आमतौर पर बैंक इसके लिए 3 महीने से 2 साल का समय देते हैं।


घट जाएगी क्रेडिट लिमिट
यदि आपकी क्रेडिट कार्ड की लिमिट 50,000 रुपए है और आप 40,000 रुपए मूल्य की कोई भी वस्तु खरीदते हैं,और इसका भुगतान ईएमआई से करने का विकल्प चुनते हैं तो आपकी क्रेडिट लिमिट 10,000 रुपए कर दी जाएगी। लेकिन जैसे जैसे आप किस्तों का भुगतान करेंगे आपकी क्रेडिट लिमिट बढ़ जाएगी।


देने होते हैं कई चार्ज?


ईएमआई के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने में कई तरह के चार्ज देने होते हैं।


देना होता है अतिरिक्त ब्‍याज
बिल का किस्तों में भुगतान का विकल्प लेने पर आपसे अतिरिक्त ब्‍याज वसूला जाता है। आमतौर पर ब्‍याज दर लोन की अवधि से जुड़ी होती है। अवधि जितनी लंबी होगी, ब्‍याज भी उतना ज्‍यादा होगा।


प्रोसेसिंग फीस
कुछ बैंक कोई प्रोसेसिंग फीस चार्ज नहीं करते हैं। जबकि कई बैंक 1 से 3 फीसदी तक प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं।


प्रीपेमेंट चार्ज
लोन ईएमआई अवधि से पहले पेमेंट करने पर बैंक प्रीपेमेंट चार्ज वसूल सकते हैं। लिहाजा, ऐसे किसी चार्ज को पहले ही देख लेना चाहिए।


जीएसटी
जहां आवश्‍यक हो, वहां सभी चार्ज और फीस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होता है।


ईएमआई से बिल का भुगतान का गणित
अगर आप ईएमआई विकल्प चुनते हैं तो आपको इसके लिए अतिरिक्त ब्याज चुकाना होगा। उदाहरण के लिए अगर आप तीन महीने की अवधि को चुनते हैं तो बैंक आपसे सालाना 20
फीसदी की ब्‍याज दर से चार्ज वसूल सकता है। लेकिन, एक साल की अवधि चुनने पर यह दर 15 फीसदी हो सकती है। मान लेते हैं कि आपके क्रेडिट कार्ड बिल की रकम 10 हजार है। आप 3 महीने (90 दिन) की अवधि का रिपेमेंट ऑप्‍शन चुनते हैं तो कुल ब्‍याज 493.15 रुपए [10,000 x (20%/365) x 90] बनेगा। वहीं 12 महीने की अवधि चुनने पर ब्‍याज के
तौर पर 1,500 रुपए [10,000 x (15%/365) x 365] देना होंगे।


ऐसे में क्या करना चाहिए?
इस विकल्‍प को तभी चुनें अगर आप पैसे की किल्‍लत के कारण क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का भुगतान करने में असमर्थ हैं। केवल इमरजेंसी में ही क्रेडिट कार्ड के बिलों को ईएमआई में बदलवाने के विकल्‍प के बारे में सोचना चाहिए। ईएमआई का विकल्‍प तभी चुनें जब आपको विश्वास हो की आप समय से पेमेंट कर देंगे।


बिल का भुगतान न करने पर क्या होता है?
समय से क्रेडिट कार्ड का बिल न चुकाने पर बैंक 40 फीसदी तक फाइनेंस चार्ज वसूलता है। मिनिमम ड्यू अमाउंट का भुगतान न करने पर 1000 रुपए तक लेट पेमेंट फीस अलग से पड़ती है। इसका आपके क्रेडिट स्‍कोर पर काफी बुरा असर हो सकता है। इसीलिए हो सके तो मिनिमम ड्यू अमाउंट का भुगतान जरूर कर दें।



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इस विकल्‍प को तभी चुनें अगर आप पैसे की किल्‍लत के कारण क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का भुगतान करने में असमर्थ हैं


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