आज से एक बार फिर लागू होगा पुराना नियम, सैलेरी से कटेगा 12 फीसदी EPF

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी ( Corona Pandemic ) के चलते लोगों की नौकरी जाने और सैलेरी कम होने ( Salary reduce ) की वजह से सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की थी उनमें से एक घोषणा EPF कांट्रीब्यूशन को लेकर की गई थी । दरअसल सरकार ने मंथली इपीएफ कंट्रीब्यूशन ( EPF ) को 24 फ़ीसदी से घटाकर 20 फ़ीसदी करना । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman ) द्वारा की गई इस घोषणा का मुख्य उद्देश्य कोरोनावायरस दौरान कंपनी और कर्मचारियों को राहत देना था इससे जहां एक और कर्मचारियों का बोझ घटा वही महामारी से निपटने के लिए कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा नकदी भी पहुंच रही थी ।

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सरकार ने यह व्यवस्था मई जून-जुलाई 2020 तक के लिए की थी इसका मतलब है कि अगस्त से एक बार फिर से ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन पहले की तरह 24 फ़ीसदी हो जाएगा जिसमें अब कंपनी और कर्मचारी दोनों को 12 -12 फ़ीसदी का कॉन्ट्रिब्यूशन करना पड़ेगा

क्या कहता है नियम -इपीएफ स्कीम के नियम के मुताबिक कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी से बेसिक वेज ऑडियंस अलाउंस का 12 फ़ीसदी ईपीएफ अकाउंट में डालता है और कर्मचारी के बराबर ही कंपनी की तरफ से भी कॉन्ट्रिब्यूशन किया जाता है इस तरह दोनों तरफ से मिलाकर ईपीएफ अकाउंट में हर महीने 24 फ़ीसदी की रकम जमा होती है ।

ध्यान देने वाली बात यह है किकंपनी एंप्लॉयड की तरफ से दिए जाने वाले 12 फ़ीसदी में से 3.67 फ़ीसदी हिस्सा ईपीएफ में जाता है जबकि बाकी 8.33 फ़ीसदी हिस्सा ईपीए सैनी कर्मचारी पेंशन स्कीम अकाउंट में जाता है ।

इसलिए घटाई गई थी रकम -सरकार ने कॉन्ट्रिब्यूशन को घटाकर 20 फ़ीसदी कर दिया गया था जिसे सीधे तौर पर दोनों पक्षों को लाभ हो रहा था इस कदम की वजह से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 4.3 करोड कर्मचारी और 6.5 लाख कंपनियों को फायदा पहुंचा है बाद में श्रम मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि संस्थान और कर्मचारी चाहे तो 12 फ़ीसदी की दर से भी अपना कॉन्ट्रिब्यूशन जारी रख सकते हैं लेकिन ऐसा करना कोई जरूरी नहीं होगा यह पूरी तरह से कंपनी और कर्मचारियों का खुद का फैसला होगा



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