25 साल पहले भारत में शुरू हुई थी मोबाइल कॉलिंग सुविधा, उस समय कॉल करने या उठाने के लगते थे 17 रुपए प्रति मिनट

भारत में मोबाइल फोन को 25 साल हो गए थे। 31 जुलाई 1995 को पहली बार भारत में मोबाइल सेवा शुरू हुई थी। 1995 में शुरू हुई यह सेवा आज भारत के करोड़ों लोगों तक पहुंच चुकी है। तब से लेकर अब तक पूरा मोबाइल फोन ही बदल गया है। तन इसका इस्तेमाल सिर्फ बात करने के लिए ही हो पाता था लेकिन आज आप इससे पढ़ाई, शॉपिंग, बैंकिंग और पता ढूंढने जैसे कई काम कर सकते हैं। 25 साल पहले भारत में शुरू हुआ यह सफर पीसीओ की लंबी लाइन से निकलकर हर जेब तक पहुंच चुका है। हम आपको 25 साल के मोबाइल सफर साथ ही बताएगा कि कैसे मोबाइल ने बदल दी भारतीयों की जिन्दगी।


मोदी टेल्स्ट्रा ने शुरू की थी मोबाइल सर्विस
मोदी टेल्स्ट्रा कंपनी भारत में इस सर्विस को शुरू करने वाली पहली कंपनी थी। उसने इस सर्विस का नाम मोबाइल नेट रखा था। इस सर्विस को लोगों तक पहुंचाने में नोकिया के हैंडसेट की मदद ली गई थी। मोदी टेल्स्ट्रा बाद में स्पाइस टेलीकॉम के नाम से सेवाएं देने लगी। भारत में मोबाइल फोन सेवा का लाइसेंस पाने वाली शुरुआती 8 कंपनियों में मोदी टेल्स्ट्रा भी शामिल थी।


कोलकता से दिल्ली की गई थी पहली कॉल
31 जुलाई 1995 को भारत से पहली मोबाइल कॉल की गई थी। 25 साल पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कोलकाता (उस वक्त कलकत्ता) में मोदी टेल्सट्रा कंपनी के मोबाइल नेट सर्विस की शुरुआत की थी। इसके बाद ज्योति बसु ने कोलकाता से पहली मोबाइल कॉल उस समय के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को की थी। यह कॉल करने के लिए नोकिया के हैंडसेट (2110) का इस्तेमाल किया गया था। यह कॉल कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली स्थित संचार भवन के बीच की गई थी।


इनकमिंग कॉल के भी चुकाने होते थे रुपए

25 साल पहले आउटगोइंग के साथ-साथ इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे देने होते थे। आउटगोइंग कॉल्स के लिए जहां आपको 16 रुपए प्रति मिनट की दर से चुकाने होते थे वहीं इनकमिंग कॉल के लिए 8 रुपए तक चुकाने होते हैं। इसके अलावा मोबाइल सी खरीदने के लिए आपको 4900 रुपए चुकाने होते थे जो उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा थे। मोबाइल के शुरुआती पांच साल में महज 10 लाख कस्टमर्स तक ही यह सर्विस पहुंची थी।


2003 में फ्री हुई इनकमिंग कॉल
साल 2003 में ‘कॉलिंग पार्टी पेज़’ (सीपीपी) का सिद्धांत लागू हुआ। यानी मोबाइल पर इनकमिंग कॉल फ़्री कर दी गईं लैंडलाइन पर कॉल करने की दरें भी घटाकर 1.20 रु प्रति मिनट कर दी गईं। इसके चलते ग्राहकों की संख्या में हर महीने तेज़ी से इजाफा होने लगा। इसके बाद मोबाइल फोन की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ।


साल 2008 में आया 3G और 2012 में आया 4G
साल 2009 में 3जी टेक्नोलॉजी ने नेटवर्क की दुनिया में हलचल मचा दी थी। इसकी डाटा ट्रांसफर स्‍पीड 21 mbps है, जो 2जी के मुकाबले बहुत ज्‍यादा थी। साल 2012 में 4G की शुरुआत की गई गई। अब भारत में 5G की तैयारी है।

1997 में हुई TRAI की स्थापना
सरकार द्वारा ग्राहकों के हक़ की रक्षा और कंपनियों में हेल्दी कॉम्पिटिशन की देख रेख करने के उद्देश्य से 1997 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की स्थापना की गई। यह टेलीकॉम सेवा में सुधार, शुल्कों की एकरूपता, डी.टी.एच. और मोबाइल नम्बरों की पोर्टैबिलिटी आदि सभी को कंट्रोल करता है।

भारत में 50 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन यूजर
भारत में अब 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह साल 2018 के मुकाबले 15 फीसदी की बढ़ोतरी है। मार्केट रिसर्च फर्म techARC के मुताबिक, दिसंबर 2019 तक भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 502.2 मिलियन (50.22 करोड़) हो गई है।


मोबाइल से पहले पेजर
31 जुलाई, 1995 में टेलिकॉम की शुरुआत हुई थी, पर उससे दो महीने पहले, यानी 16 मार्च को पेजर सेवा भी शुरू हुई थी। यह एक छोटी सी डिवाइस थी जिससे एकतरफ़ा संवाद होता था। भेजने वाले का संदेश दूसरे व्यक्ति को पेजर में लिखित रूप में प्राप्त होता था. इसे एक तरह से तुरंत मिलने वाला टेलीग्राम मान सकते हैं। जहां पेजर एकतरफ़ा संवाद था जो लिखित होता था तो वहीं मोबाइल कम्युनिकेशन दोतरफ़ा और आवाज़ के रूप में था। मोबाइल के कारण पेजर का अस्तित्व कुछ ही साल रहा।



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25 साल पहले आउटगोइंग के साथ-साथ इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे देने होते थे


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