26 साल की उम्र में किशोर बियानी ने कोलकाता में पहला रिटेल स्टोर खोला, 60 की उम्र में फिर से नया करने की शुरुआत करेंगे
किशोर बियानी अब 60 साल की उम्र के करीब होने जा रहे हैं। दोस्तों में केबी के नाम से मशहूर हैं। 26 साल की उम्र में पैंटालून का पहला स्टोर खोल कर रिटेल की शुरुआत की थी। 59 साल की उम्र में सब कुछ बेचना पड़ा। रिटेल के महारथी केबी की फ्यूचर ग्रुप कंपनी पर कर्ज को उतारने के लिए इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था। कंपनी पेमेंट में डिफॉल्ट हो चुकी थी। ऐसे में मुकेश अंबानी की रिटेल कंपनी ने केबी को इससे उबारने में मदद की।
1987 में की थी शुरुआत
लंबे समय से फंड चुकाने की जद्दोजहद में केबी सफल हुए। फ्यूचर ग्रुप के तमाम बिजनेस को 24,713 करोड़ रुपए में बेचने में उनको शनिवार को सफलता हाथ लगी। देश में सुविधाजनक रिटेल की शॉंपिंग की शुरुआत करनेवाले केबी ने अपने बिजनेस की शुरुआत 1987 में मेंज वियर को लांच कर की थी। बाद में इसी को पैंटालून का नाम दिया गया।
कंपटीशन और कर्ज के कारण पीछे हो गए बियानी
बियानी ने रिटेल बिजनेस को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया। लगातार वे पूंजी जुटाने की कोशिश करते रहे। हालांकि इस कंपटीशन के दौर में वे रिलायंस से ठीक उसी तरह पीछे हो गए, जैसे टेलीकॉम में दिग्गज वोडाफोन और एयरटेल को पीछे होना पड़ा। वोडाफोन को अस्तित्व बचाने के लिए आइडिया से हाथ मिलाना पड़ा। आज एयरटेल और वोडाफोन को एजीआर के मामले में फंडिंग के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि जियो टेलीकॉम में बादशाह बनी हुई है।
यह सच है कि रिटेल में आगे चलकर मुकेश अंबानी टेलीकॉम की तरह बादशाहत हासिल करेंगे। फ्यूचर की डील से अंबानी का फ्यूचर सुधरेगा। रिटेल और टेलीकॉम में रिलायंस इंडस्ट्रीज की मोनोपोली होगी। उसे तोड़ने के लिए अब काफी रणनीति विरोधियों को बनानी होगी।
2012 में बिरला को बेची थी हिस्सेदारी
साल 2012 में बियानी ने पैंटालून में मेजोरिटी हिस्सेदारी आदित्य बिरला नूवो को 1,600 करोड़ रुपए में बेची थी। इसमें से 800 करोड़ रुपए का कर्ज था। 1992 में उन्होंने इसी पैंटालून को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराकर विस्तार के लिए पैसे जुटाए थे। हालांकि उसके बाद वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। उन्होंने तब से लेकर अब तक लॉजिस्टिक और अन्य सुविधाओं का निर्माण किया।
अमेरिकी कंपनी को बेची थी हिस्सेदारी
2012 में बियानी ने फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स में अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी वारबर्ग पिनैकस को हिस्सेदारी बेच कर फंड जुटाया था। हालांकि बाद में उन्होंने अमेरिका की ही कंपनी स्टेपल्स को पूरी हिस्सेदारी बेच दी थी। उस समय ग्रुप पर 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। इसी तरह 2013 में फ्यूचर लाइफ स्टाइल फैशन में उन्होंने थोड़ी सी हिस्सेदारी बिबा अपैरल को बेची थी। यह कंपनी अनिता डोंगरे की है। इसके लिए बियानी को 450 करोड़ रुपए मिले थे।
पिछले साल फ्यूचर कूपंस में बिकी थी हिस्सेदारी
पिछले साल अगस्त में बियानी ने फ्यूचर कूपंस में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी अमेजन को बेची थी। फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपंस की 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। बियानी का फ्यूचर ग्रुप वित्तीय संकट में इस साल की शुरुआत में आया। यह तब हुआ जब फ्यूचर रिटेल कर्ज के भुगतान में फेल हो गई। इसके बाद बैंकों ने कंपनी के गिरवी रखे गए शेयरों को जब्त कर लिया। 2019 में फोर्ब्स की लिस्ट में बियानी 80 वें नंबर के सबसे धनवान बिजनेस मैन थे।
जब रेटिंग डाउनग्रेड हुई
इसी तरह ढेर सारी रेटिंग एजेंसियों ने कंपनी को डाउनग्रेड भी कर दिया। इसमें स्टैंडर्ड एंड पूअर्स और फिच ने फ्यूचर रिटेल की क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड किया। इस समय फ्यूचर ग्रुप के ऊपर 13,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। रिलायंस रिटेल के साथ डील के बाद फ्यूचर इंटरप्राइजेज लिमिटेड अभी भी एफएमसीजी सामानों के निर्माण और वितरण के काम में लगी रहेगी। साथ ही इंटीग्रेटेड फैशन सोर्सिंग और मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस में भी रहेगी।
मुंबई से पढ़े हैं किशोर बियानी
बियानी मुंबई के एच. आर कॉलेज के छात्र रहे हैं। उनकी यात्रा मुंबई में 1980 में स्टोन वॉश डेनिम फैब्रिक की बिक्री से शुरू हुई थी। उनका सपना हर किसी तक अपने खुद के लेबल के प्रोडक्ट को पहुंचाना था। कोलकाता से 26 साल की उम्र में पैंटालून से शुरू हुई यात्रा को मुंबई में बियानी ने खत्म की। अब वे उम्र के छठें दशक से फिर से कुछ नई शुरुआत करेंगे।
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