अगले 6 महीने तक देश के 50% होटलों की स्थिति खराब रहेगी, डिमांड के लिए एक साल तक करना पड़ सकता है इंतजार; नहीं बढ़ेगा होटल के रूम का किराया

कोविड-19 की वजह से देश में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की स्थिति बहुत ही खराब है। ऐसा माना जा रहा है कि अगले 6 महीनों तक देश के 50 प्रतिशत होटलों की स्थिति में सुधार होने की कोई उम्मीद नहीं है। जबकि अगले एक साल तक इसमें मांग में भी तेजी आने की संभावना नहीं है।

10-25 प्रतिशत की कमी आ सकती है

देश के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के बारे में लेमन ट्री होटल के चेयरमैन एवं एमडी पतंजलि केसवानी कहते हैं कि यह इंडस्ट्री अगले 6 से 12 महीनों तक प्रभावित रहेगी। देश में ब्रांडेड होटल के बारे में अनुमान है कि अगले एक साल तक इनके रूम में 10 से 25 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

नई सप्लाई पूरी तरह प्रभावित होगी

हालांकि, इसमें से कुछ वापसी कर सकते हैं लेकिन नई सप्लाई पूरी तरह प्रभावित होगी। फिलहाल 1.65 लाख होटल रूम देश में हैं और अब से लेकर अगले दो साल तक इसमें से 1.30 से 1.40 लाख रूम्स को ही ऑपरेट किया जाएगा।

पटरी पर होंगी अक्टूबर में रूम की दरें

एक अन्य होटल के सीईओ के मुताबिक होटलों के रूम की दरों में कोई गिरावट नहीं आएगी। इसलिए इस अक्टूबर में कॉर्पोरेट क्लाइंट को दिए जाने वाले रूम के रेट पिछले साल की तरह ही सेम होंगे या इसमें गिरावट भी आ सकती है।

होटल रूम की सप्लाई में गिरावट आएगी

केसवानी ने कहा कि अब से लेकर अगले दो ढाई साल तक कोई भी होटल रूम की सप्लाई में गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि कुछ कॉर्पोरेट में उन्होंने बात की जहां पता चला कि कर्मचारी इस समय काम पर नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा अनुमान है कि अगले साल अक्टूबर से घरेलू यात्रियों की अच्छी खासी संख्या बढ़ेगी। क्योंकि वैक्सीन आ जाएगी, लोगों में से डर निकल जाएगा।

कुछ कंपनियां होटलों को खरीदने में दिलचस्पी ले सकती है

होटल इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि हालांकि कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनके पास कैश है और वे होटलों को खरीदने में दिलचस्पी ले सकती हैं।

होटलों का ऑनलाइन बिजनेस कोविड से पहले 35 से 37 प्रतिशत था। जबकि 35 प्रतिशत बिजनेस लॉर्ज कॉर्पोरेट से आता था और 30 प्रतिशत एमएसएमई से तथा 10 प्रतिशत अन्य कैटेगरी से आता था।

पिछले पांच महीनों से होटल की हालत खराब है

केसवानी ने कहा कि वे कहते हैं कि हमारे पास 5,200 होटल रूम हैं और 700 से ज्यादा रूम्स को हम बना रहे हैं। इस तरह से हमारे पास करीबन 6 हजार रूम्स हो जाएंगे। पिछले पांच महीनों से होटल की हालत खराब है। हमारा जो मुंबई एयरपोर्ट के पास होटल बन रहा है, वह अब 6 से 9 महीने और आगे बढ़ जाएगा।

हम दिसंबर में इस पर देख सकते हैं कि कब इसे चालू करना है। हालांकि, यह अंधेरी में हमारे दूसरे होटल की आक्यूपेंसी पर निर्भर करेगा। इसकी ऑक्यूपेंसी 60 प्रतिशत इस समय है और इसका किराया 4 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से है। अगर मुंबई रिकवर करती है तो हम बन रहे होटल को तेजी से पूरा करेंगे।

रूम इनवेंट्री 900 पर पहुंच गई है

केसवानी ने कहा कि रूम इनवेंट्री 900 पर पहुंच गई है। हमें उम्मीद है कि ऑक्यूपेंसी अगले दो से तीन महीनों में रफ्तार पकड़ेगी। क्वारंटाइन से कंपनी को जुलाई में बिजनेस हुआ है, लेकिन इसमें काफी गिरावट रही है। अप्रैल में ऑन लाइन बुकिंग हर दिन 70 रही है। अब यह रोजाना 300 हो गई है। ऑन लाइन बुकिंग के रूम की दरें 2,800 से 4000 रुपए हैं। ज्यादातर बुकिंग 2800 रुपए की हो रही हैं।

होटल्स के रूम रेट में कोई बदलाव नहीं

अगर ओयो रूम्स की बात करें तो यहां अभी पहले की तरह ही रेट है। इसमें कोई बदलाव नहीं है। कंपनी 10-15 फीसदी तक छूट आज भी दे रही है। वहीं, फाइव स्टार होटल की बात की जाए तो यहां भी रेट में कोई खास चेंजेस नहीं है। IHCL के एक सूत्र ने बताया है कि अभी कंपनी होटल्स के रूम रेट में बढ़ाने को लेकर नहीं सोच रही है। इस समय पहली प्रायोरिटी गेस्ट के बीच सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर भरोसा बनाना है। बाद में इस पर विचार किया जा सकता है फिलहाल पुराने रेट पर ही रूम्स उपलब्ध है। इस समय कोई डिस्काउंट भी नहीं दिया जा रहा है क्योंकि यह सेक्टर पहले से ही घाटे में चल रहा है।

इंडस्ट्री को पूरी तरह संभलने में 2023 तक का समय लगेगा

VIE Hospitality और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरांं एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट कमलेश बारोट ने बताया कि अभी सरकार के नियम अनुसार, 33 फीसदी ऑक्यूपेंसी होनी चाहिए। हालांकि, इतना भी अभी पूरा नहीं हो रहा है। इस समय 12-15 फीसदी ऑक्यूपेंसी है। वे बताते हैं कि जब तक इंटरनेशनल फ्लाइट्स और पूरी तरह डोमेस्टिक फ्लाइट्स शुरु नहीं होगी तब तक ऑक्यूपेंसी ऐसे ही रहेगी।
इंडस्ट्री को सामान्य होने में दो तीन साल का समय लगेगा। अगर रेट की बात की जाए तो भविष्य में हो सकता है रेट हम बढ़ा सकते हैं क्योंकि पहले से घाटे में चल रही यह इंडस्ट्री इस समय स्वच्छता के नियमों का पालन कर रही है. इस पर खर्च अधिक बढ़ा है।

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होटल इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि हालांकि कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनके पास कैश है और वे होटलों को खरीदने में दिलचस्पी ले सकती हैं।


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