म्युचुअल फंड में निवेश करने का बना रहे हैं प्लान तो इन 7 बातों को रखें ध्यान, नहीं तो हो सकता है नुकसान

निवेशकों में म्यूचुअल फंड की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी इसमें निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो निवेश करने से पहले इसकी कुछ बातों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। अगर किसी एजेंट के द्वारा आप म्युचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो हो सकता है वो आपको पूरा जानकारी न दे। कई बार देखने में आता है कि नए निवेशक को इसके बारे में अधूरी जानकारी होती है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने और बेहतर रिटर्न पाने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।


तय करें कि पैसा कहां लगाना है?
निवेशक को सबसे पहले निवेश सूची तैयार कर लेनी चाहिए कि उसे कहां और कितने पैसे निवेश करने हैं। इस प्रक्रिया को ऐसेट एलोकेशन कहते हैं। ऐसेट एलोकेशन वो तरीका है जो ये निर्धारित करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगाएं जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का सही मिश्रण हो। ऐसेट एलोकेशन के कुछ नियम हैं जो आपको यह बताते हैं कि किस उम्र में कितना धन जुटाना है। उदाहरण के लिए- यदि किसी निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% डेट इंस्ट्रूमेंट और शेष इक्विटी में लगाना चाहिए।


जितना जोखिम उतना लाभ
वास्तविकता यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियों और वित्तीय हालत अलग-अलग होते हैं। ऐसेट एलोकेशन को समझने के लिए आपको जैसे-आयु, व्यवसाय, आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि की जानकारी होनी चाहिए। आप जितने युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।


सही फंड चुनें
आप वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें। उसी के हिसाब से निवेश करें। निवेश करने के पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि किस फंड में निवेश करना है। सभी तरह के फंड निवेश के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है।


निवेश को बंद करना सही नहीं
कई बार देखा जाता है कि लोग कोरोना काल जैसे विपरीत समय या अन्य उतार-चढ़ाव वाले समय में स्कीम से पैसे को निकाल लेते हैं। लेकिन डर और लालच के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड के असेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी का रास्ता अपनाना चाहिए। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम है जो इक्विटी, डेट और आर्बिट्राज में मिलाजुला कर निवेश करती है।

पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी
एक पोर्टफोलियो में कई एसेट क्लास शामिल करना चाहिए। विविधता आपको किसी निवेश के खराब प्रदर्शन के दुष्प्रभाव से बचाती है। कभी-कभी किसी कंपनी या सेक्टर का प्रदर्शन बाकी बाजार की तुलना में ज्यादा खराब होता है। ऐसी स्थिति में अगर आपका पूरा पैसा उसी में नहीं लगा हो, तो निश्चित रूप से यह आपके लिए मददगार होता है। हालांकि ज्यादा तरह के फंडों में निवेश करना भी सही नहीं है।


पता करते रहें आपके निवेश का प्रदर्शन कैसा है?
निवेश करने के बाद घर बैठने और उसे भूलने जैसी लापरवाही न करें। इसके लिए जरूरी है कि पता करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं ? इस तरह की जानकारी के लिए म्यूचुअल फंड मासिक और त्रैमासिक फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित होते हैं जिनमें पोर्टफोलियो की जानकारी,फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित योजनाओं और उनके प्रदर्शन आंकड़ों की रिपोर्ट प्रकाशित होती है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर प्रदर्शन आंकड़े, दैनिक NAV (नेट ऐसेट वैल्यू) , फंड फैक्ट शीट , त्रैमासिक न्यूजलेटर और प्रेस क्लिपिंग इत्यादि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा भारत में म्यूचुअल फंड एसोसिएशन( AMFI ) की वेबसाइट भी है जिसमें दैनिक और ऐतिहासिक NAV और अन्य योजनाओं के बारे में सूचना होती हैं।


सेफ इन्वेस्टमेंट भी जरूरी
म्युचुअल फंड में पैसा निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इसमें निवेश करने के अलावा कहीं ऐसी जगह भी निवेश करते रहें जहां जोखिम न हो। इस तरह के निवेश के लिए आप पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या रिकरिंग अकाउंट (RD) में पैसा लगा सकते हैं। इससे अगर आपको शेयर बाजार में नुकसान होता है तो इस योजनाओं से आपको रिटर्न मिलता रहेगा।



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आप वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें


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