इन सात कारणों से आलू हुआ महंगा, जल्द गिर सकते हैं दाम

नई दिल्ली। चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, लेकिन विगत कुछ महीने से देश में इसकी कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने के कारण अब आयात करना पड़ रहा है। आलू की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भूटान से आलू मंगाया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने भूटान से 31 जनवरी 2021 तक बगैर लाइसेंस के 10 लाख टन आलू टेरिफ रेट कोटे के तहत 10 फीसदी आयात शुल्क पर आयात करने की अनुमति दी है।मगर, बड़े उत्पादकों में शुमार होने के बावजूद आलू की आपूर्ति का टोटा पड़ जाने से इस समय देश में आलू के दाम आसमान पर चढ़ गए हैं। देश के कई शहरों में आलू का खुदरा भाव 50 रुपए प्रति किलो के उपर चला गया है।

आलू की कीमत बढ़ने के सात कारण
1. देश में आलू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में बीते फसल वर्ष 2019-20 की रबी सीजन में आलू उत्पादन उम्मीद से कम रहा।

2. पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में बारिश होने से बुवाई देर से हुई और फसल का रकबा भी उम्मीद से कम रहा।

3. फरवरी में बारिश होने से प्रति हेक्टेयर पैदावार पर असर पड़ा जिसके चलते यूपी में उत्पादन 160 लाख टन के मुकाबले 140 लाख टन से भी कम रहा।

4. इस साल रबी सीजन के आलू की हार्वेस्टिंग के दौरान बाजार में आलू का भाव अपेक्षाकृत तेज होने और दक्षिण भारत में आलू की मांग रहने के कारण उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण ज्यादा नहीं हो पाया जिसके चलते इस समय आलू की आपूर्ति की कमी बनी हुई है।

5. उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण इस साल 98.2 लाख टन हुआ।

6. करीब 15 लाख टन अभी बचा हुआ है, इसलिए नवंबर तक आलू की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आएगी जबकि नवंबर के आखिर में नई फसल भी उतर जाएगी।

7. देश में सबसे ज्यादा आलू उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल और बिहार क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर आता हैं, जहां रबी सीजन में ही आलू का उत्पादन होता है, मगर इन दोनों राज्यों में भी आलू के दाम में काफी वृद्धि हुई, जिसकी वहज आपूर्ति में कमी है।

यह भी पढ़ेंः- Petrol Diesel Price Today : फटाफट जानिए कितने हो गए हैं आपके शहर में दाम

क्या कहते हैं जानकार

'उत्तर भारत में इस साल मानसून के आखिरी दौर में ज्यादा बारिश नहीं होने से आलू की फसल जल्दी लगी है और आवक भी नवंबर में शुरू हो जाएगी, जिसके बाद कीमतें नीचे आ सकती है। उन्होंने कहा कि घरेलू फसल की आवक बढऩे पर ज्यादा आयात करने की जरूरत नहीं होगी।'
- डॉ. मनोज कुमार, कार्यकारी निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान


'आलू का आयात होने की संभावना कम है। विदेशों से आलू का आयात करीब 350 डॉलर प्रति टन के भाव पड़ेगा, जिस पर 10 फीसदी आयात शुल्क जोडऩे के बाद करीब 28 रुपये प्रति किलो तक पड़ेगा, जबकि देश में इस समय आलू का थोक भाव 28 से 30 रुपये किलो है। ऐसे में आयात की संभावना कम है।'

- अजित शाह, अध्यक्ष, हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोटर्स एसोसिएशन

 

यह भी पढ़ेंः- Gold Rate : अमरीकी चुनाव के नतीजों से पहले अक्टूबर में कितने हुए सोने और चांदी के दाम



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/34LDe7S
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments