कॉरपोरेट टैक्स के दुरुपयोग के कारण भारत को हर साल 75 हजार करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान

मल्टीनेशनल कंपनीज या कॉरपोरेट टैक्स के दुरुपयोग और प्राइवेट टैक्स की चोरी के कारण भारत को हर साल 10.3 बिलियन डॉलर करीब 75 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। द स्टेट ऑफ टैक्स जस्टिस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस टैक्स चोरी से सभी देशों को हर साल 427 बिलियन डॉलर करीब 31 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है। यह नुकसान 3.4 करोड़ नर्सों की वार्षिक सैलरी के बराबर है।

GDP के 0.41% का नुकसान

यदि भारत की बात करें तो ग्लोबल टैक्स दुरुपयोग के रूप में 10.3 बिलियन डॉलर का नुकसान GDP का 0.41% के बराबर है। 10.3 बिलियन डॉलर के कुल टैक्स नुकसान में 200 मिलियन डॉलर करीब 1400 करोड़ रुपए का नुकसान प्राइवेट टैक्स की चोरी के कारण होता है। भारत के कुल टैक्स नुकसान के सामाजिक प्रभाव की गणना की जाए तो यह देश के कुल हेल्थ बजट का 44.70% और शिक्षा खर्च का 10.68% के बराबर है। इस नुकसान से 42.30 लाख नर्सों को सालाना सैलरी दी जा सकती है।

अवैध वित्तीय फ्लो को रोकने में भारत सबसे कमजोर

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी FDI के रूप में होने वाले अवैध वित्तीय फ्लो को रोकने में भारत सबसे कमजोर है। मॉरिशस, सिंगापुर और नीदरलैंड जैसे ट्रेडिंग पार्टनर इस कमजोरी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। यह रिपोर्ट द टैक्स जस्टिस नेटवर्क ने ग्लोबल यूनियन फेडरेशन पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल और द ग्लोबल अलायंस फॉर टैक्स जस्टिस के साथ मिलकर प्रकाशित की है। रिपोर्ट में ग्लोबल टैक्स के दुरुपयोग और इस खतरे से निपटने के सरकार के प्रयासों की भी जानकारी दी गई है।

मल्टीनेशनल कंपनियों ने टैक्स हेवन देशों में 1.38 ट्रिलियन डॉलर का टैक्स भेजा

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल स्तर पर मल्टीनेशनल कंपनियों ने 1.38 ट्रिलियन डॉलर का प्रॉफिट टैक्स हेवन कहे जाने वाले देशों में भेजा है। इससे कंपनियों ने कम टैक्स चुकाकर ज्यादा मुनाफा कमाया है। टैक्स हेवन देशों में कॉरपोरेट टैक्स नहीं के बराबर या बिलकुल नहीं होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट टैक्स देने वालों ने कम टैक्स चुकाया है और विदेशों में फाइनेंशियल असेट्स में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि जमा की है।

टैक्स चोरी रोकने के लिए सुझाव

  • सरकारों को मल्टीनेशनल कंपनियों पर ज्यादा प्रॉफिट टैक्स लगाना चाहिए।
  • कोरोनाकाल में ज्यादा प्रॉफिट कमाने वाली ग्लोबल डिजिटल कंपनियों पर भी प्रॉफिट टैक्स लगाना चाहिए।
  • विदेशों में असेट्स पर सरकार को वेल्थ टैक्स लगाना चाहिए।


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रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट टैक्स देने वालों ने कम टैक्स चुकाया है और विदेशों में फाइनेंशियल असेट्स में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि जमा की है।


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