मजदूरों की मदद के लिए सराकर ने शुरू की मैपिंग, मदद पहुंचाने के लिए बनाएगी डेटाबेस; लॉकडाउन बढ़ने पर राहत पहुंचाने में आएगा काम
देशभर में बिखरे हुए प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने उनकी मैपिंग शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार राहत शिविरों के साथ नियोक्ताओं के परिसरों और उनके निवास, सभी जगहों की मैपिंग कर रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार लाखों मजदूरों का एक डेटाबेस बनाना चाहती है, जिससे ये पता लगाया जा सके कि कोरोनावायरस (कोविड-19) के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों का रोजगार प्रभावित हुआहै, जिससे उनके लिए राहत पैकेज का ऐलान किया जा सके।
डेटा से पता लगेगा किसे लाभ मिल रहा
केंद्रीय गृह मंत्रालय और श्रम मंत्रालय ने राज्य सरकारों से 11 अप्रैल तक सभी प्रवासी मजदूरों का डेटा चीफ लेबर कमिश्नर (सीएलसी) के पास देने के लिए कहा है। इस बारे में चीफ लेबर कमिश्नर राजन वर्मा ने 8 अप्रैल को एक पत्र में कहा कि आप सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि कोविड-19 के चलते देशभर में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर प्रभावित हुए हैं। ऐसे में तीन दिन के अंदर सभी प्रवासी मजदूरों का डेटा तत्काल तैयार किया जाए।
इस डेटा को सरकारी राहत शिविर (जिलेवार), नियोक्ताओं के वर्कप्लेस पर जहां प्रवासी मजदूर आमतौर पर एकसाथ रहते हैं, और एनजीओ के साथ कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे राहत शिविरों से एकत्रित किया जाना है। इस डेटाबेस से ये पता लगाया जाएगा कि इन मजदूरों के प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोला गया बैंक खाता, या अन्य बैंक खाता है। साथ ही, मजदूरों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में आधार नंबर के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर का लाभ मिल रहा है।
डेटा में काम और निवास की होगी जानकारी
मजदूरों का डेटा उनके काम के हिसाब से भी अलग होगा। यानी डेटा में कृषि, घरेलू कार्य, रिक्शा चलाने वाले, सिक्योरिटी सर्विस, ईंट भट्टों पर काम, ऑटोमोबाइल का काम, फूड प्रोसेसिंग और बिल्डिंग-कंस्ट्रक्शन के काम को शामिल किया गया है। नियोक्ताओं से उनके काम के हिसाब से डेटा मांगा जाएगा। डेटा मैपिंग के दौरान मजदूरों से उनके स्थाई निवास स्थान और मौजूदा निवास के बारे में पूछा जाएगा। यदि सरकार 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को बढ़ाती है, तब इस डेटा की मदद से सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा पाएगी।
सरकार के लिए कम समय में इस डेटा का कलेक्ट करना बड़ी चुनौती है। ऐसे में इस काम के लिए उसने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अधिकारियों के साथ लेबर वेलफेयर कमिश्नर्स को चुना है। इस डेटाबेस की मदद से सरकार मजदूरों के घर तक पहुचंने या उन्हें शहरों में काम दिलाने वाली व्यवस्था के लिए मदद कर पाएगा। वहीं, एक अन्य अधिकारी के मुताबिक सरकार कोरोनावायरस संक्रमित लोगों के इलाज के लिए शेल्टर होम तैयार करना चाहती है।
एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज और हर्ष मंडेर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि करीब 1.03 मिलियन (लगभग 10,3000) लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। हालांकि, इसमें शेल्टर होम्स के आंकड़े शामिल नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि करीब 1.5 मिलियन (लगभग 150,000) मजदूरों को देशभर में नियोक्ताओं द्वारा आश्रय दिया गया है।
एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज का कहना है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूर, जो हमारे वर्कफोर्स का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा हैं, उन्होंने अपनी आय का स्रोत खो दिया है, क्योंकि देश के व्यवसाय रुक गए हैं। उनकी सेविंग ना के बराबर है। दूसरी कंपनियां भी उनकी मदद नहीं कर सकती क्योंकि वे भी प्रभावित हुई हैं। ऐसे में सरकार को उन्हें न्यूनतम मजदूरी की मदद देना चाहिए।
25 मार्च से देशभर में 21 दिन का लॉकडाउनल लगाया गया है, जिसके बाद से प्रवासी मजदूर शहरों को छोड़कर अपने गांव वापस जा रहे हैं। उद्योंगो के बंद होने से उनके पास घर का किराया देने के साथ दूसरी बुनियादी जरूरतों के लिए भी पैसे नहीं है। इसके साथ, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी उनके लिए चुनौती बन गई हैं।
आधिकारिक अनुमान के मुताबिक 5 से 6 लाख मजदूरों को पैदल घर वापस जाना पड़ा, क्योंकि ट्रांसपोर्ट की सेवाएं भी बंद हो गई थीं। अपने गांव पहुंचने के लिए उन्हें मीलों पैदाल यात्रा करना पड़ी। देश की राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए सेल्टर होम्स में अभी भी सैंकड़ों प्रवासी मजदूर रह रहे हैं।
राज्य सरकारों से मजदूरों को मिलने वाली मदद
उत्तर प्रदेश: 35 लाख लोगों को लाभ मिलेगा
उत्तर प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के मजदूर को एक महीने में एक बार 1000 हजार दिए जाएंगे। सरकार ने 31 मार्च तक के लिए 235 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। श्रमिक भरण पोषण योजना के तहत 35 लाख लोगों को घोषणा का लाभ मिलेगा। इस योजना में मजदूर, रिक्शा चालक, फेरी लगाने वालों को शामिल किया गया है। मंगलवार को शुरू की गई इस योजना में पूरे लॉकडाउन की अवधि कवर की गई है। प्रदेश में कुल 20.37 रजिस्टर्ड मजदूर हैं। इनमें से 5.97 लाख मजदूरों के बैंक खाते में सरकार तय रकम ट्रांसफर करेगी। जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं, उनकी अधिकारी मदद करेंगे। शहरी विकास विभाग को दो हफ्ते में एक डेटाबेस तैयार करने को कहा गया है। इसमें खोमचे और रिक्शावालों के लिए 235 करोड़ रुपए की राशि तय की गई है।
आंध्र प्रदेश: 1000 रुपए मिलेंगे
आंध्र प्रदेश में बीपीएल धारक, दिहाड़ी मजूदर, कन्सट्रक्शन वर्कर, ऑटो और कैब चालकों को 1000 रुपए मिलेंगे। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इसके लिए 1500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। लाभार्थियों की पहचान पिछले साल राज्य चुनाव अभियान के दौरान की गई थी। तय रकम 4 अप्रैल तक लाभार्थियों के घर ग्रामीण वॉलिंटियर्स पहुंचाएंगे। इसके साथ राशन में चावल, एक किलोग्राम दाल, तेल और नमक भी होगा।
गुजरात : 60 लाख परिवारों को मिलेगा फ्री राशन
गुजरात सरकार 60 लाख परिवारों के 3.25 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त राशन मुहैया कराएगी। एक अप्रैल से प्रत्येक व्यक्ति को 3.5 किलोग्राम गेहूं और 1.5 किलोग्राम चावल और प्रति परिवार 1 किलो चीनी, दाल और नमक मिलेगा। यह राशन उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से वितरित होगा। सरकार ने 17,000 उचित मूल्य की दुकानों में से कम से कम 3,500 को राशन भेज दिया है। वितरण के समय सोशल डिस्टेंस रखा जाएगा।
तेलंगाना : प्रति परिवार को 1500 रुपए
तेलंगाना में राशन कार्ड धारक प्रति परिवार को 1500 रुपए दिए जाएंगे। इनमें बीपीएल वाले और असंगठन क्षेत्रों के मजदूरों को शामिल किया गया है। ऐसे परिवार को 6 की बजाय 12 किलोग्राम चावल मुफ्त दिए जाएंगे। सरकार ने इसके लिए 3.36 लाख टन चावल और 2,417 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। वितरण के लिए 2014 में किए गए सर्वे को आधार बनाया गया है। पैसा बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा।
राजस्थान: हर मजदूर को 1000 रुपए
राज्य की सामाजिक पेंशन योजना में शामिल लोगों को छोड़कर 25 लाख दिहाड़ी मजदूर और फेरी लगाने वाले को प्रति व्यक्ति 1000 रुपए दिए जाएंगे। यह राहत 36.51 लाख बीपीएल, राज्य बीपीएल धारक और अंत्योदय लाभार्थियों को दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए 2000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। लाभार्थियों की पहचान जिला प्रशासन और सामाजिक न्याय विभाग द्वारा की जाएगी। रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से आधार नंबर से जुड़े बैंक खातों में भेजे जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर : सभी मजदूरों को राहत
लॉकडाउन के दौरान राशन की खरीद के लिए भवन निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में रजिस्टर्ड 3.5 लाख लोगों को 1000 रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) योजना के तहत रजिस्टर्ड असंगठित क्षेत्र के सभी 2.26 लाख श्रमिकों को मजदूरी सहित राहत मिलेगी।
उत्तराखंड: प्रत्येक मजदूर को 1000 रुपए
उत्तराखंड सरकार प्रत्येक मजदूर को 1000 रुपए देगी। इसमें गैर-पंजीकृत मजदूर, सड़क पर दुकान लगाने वाले, फल और सब्जी विक्रेता और दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं। सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से 30 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। रुपए के वितरण के लिए जिलाधिकारी और स्थानीय श्रमिक विभाग के अधिकारी सर्वे कर लाभार्थियों के पहचान करेंगे। यह राशि लाभार्थी बैंक खाते में या फिर नकद भी ले सकेंगे।
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