अमेरिका-चीन ट्रेड वार से भारत को फायदा, लेकिन अभी भी बराबरी करने में भारत को लगेगा लंबा वक्त
बीते एक साल से जारी अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार से चीन को भारी नुकसान हुआ है। ग्लोबल मार्केट में चीनी समानों के आयात और निर्यात दोनों प्रभावित हुए हैं। इससे भारत सहित अन्य देशों को फायदा हुआ है। लेकिन, भारत के लिए चीन के साथ कंपीट करना अभी आसान नहीं है। आंकड़ों को देखें तो भारत और चीन दोनों के बीच व्यापार के लिहाज से बड़ा अंतर है।
ग्लोबल मार्केट में चीन की घटती हिस्सेदारी
ट्रेड वार के कारण चीन को वैश्विक बाजारों में भारी नुकसान हो रहा है। सेक्टर आधारित आंकड़ों को देखें तो चीनी सामानों का मार्केट में भागीदारी कम हुई है। इसका फायदा भारत समेत दुनिया अन्य उत्पादक देशों को हुआ है। उदाहरण के तौर पर फुटवियर सेक्टर में ग्लोबल मार्केट शेयर में चीन की हिस्सेदारी 7.5% कम हुई है। इससे फुटवियर मार्केट में वियतनाम क हिस्सेदारी 5.9% और जर्मनी की हिस्सेदारी 1.4% बढ़ी है। इसके अलावा भारत की भी हिस्सेदारी 0.1% बढ़ी है।
पर्ल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में चीन का मार्केट शेयर 2.3% कम हुआ है। भारत का मार्केट शेयर 3.5% बढ़ा है। इस सेक्टर में इजराइल और अमेरिकी भागीदारी भी बढ़ी है। इसी प्रकार लेदर, आयरन और स्टील, कपड़ा और सिरेमिक सेक्टर में चीन की घटती हिस्सेदारी का फायदा भारत और अन्य देशों के हुआ है।
चीन के साथ भारत का कंपटीशन
यूं तो भारत 1990 के दशक से ही चीन के साथ कंपीट करने का सपना देख रहा है। चीन की जीडीपी भारत के मुकाबले 4 गुना बड़ी है। लेकिन, अभी भी कुछ सेक्टर्स में भारत, चीन से काफी पीछे है, जिससे भारत का वर्ल्ड लीडर बनने और चीन को पछाड़ने में काफी समय लग सकता है। उदाहरण के तौर पर स्टील के उत्पादन में चीन और भारत के बीच का अनुपात 10:1 का है।
इसके अलावा ई-कॉमर्स सेल्स में भी दोनों के बीच का अनुपात 40:1 का है। ऑटो मोबाइल एक्सपोर्ट, टेलीकॉम एक्सपोर्ट, ग्लोबल ट्रेड के लिहाज से भारत और चीन के बीच काफी बड़ा अंतर है। हालांकि, बीते सालों में भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिला है।
चीन पर भारत की सख्ती
इसी साल जून में पूर्वी लद्दाख की सीमा पर दोनों के देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद से ही भारत ने आर्थिक मोर्चे पर सख्त रुख अपना लिया है। इसके तहत चीनी एप को बैन करने के फैसला लिया गया। इसके अलावा चीनी इन्वेस्टर्स द्वारा भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश की जांच, इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर सीमा शुल्क में इजाफा और सरकारी रेग्युलेटर सेबी द्वारा शेयर बाजार में निवेश की जांच जैसे कदम शामिल हैं।
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