गैस सिलेंडर से होने वाली दुर्घटना पर मिलता है 50 लाख रुपए का मुफ्त बीमा कवर
हमारे देश में सिर्फ शहर ही नहीं गांवों में भी एलपीजी गैस सिलेंडर घर-घर इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन ज्यादातर लोग इस पर मिलने वाले इंश्योरेंस के बारे में नहीं जानते हैं। गैस कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस इंश्योरेंस कवर के तहत सिलेंडर के चलते होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना में जान-माल की हानि होने पर 50 लाख रुपए तक का बीमा क्लेम किया जा सकता है। आज हम आपको इस इंश्योरेंस कवर के बारे में बता रहे हैं। आज हम आपको इस इंश्योरेंस कवर के बारे में बता रहे हैं।
मिलता है 50 लाख तक का कवर
हादसा होने पर 40 लाख का बीमा कवर होता है, जबकि 50 लाख रुपए सिलेंडर फटने पर मौत होने की सूरत में क्लेम किए जा सकते हैं। दुर्घटना में पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है। वहीं व्यक्ति की मौत होने पर अधिकतम 6 लाख रुपए का मुआवजा (प्रति व्यक्ति) मिलता है। इसके अलावा परिवार वालों के इलाज के लिए अधिकतम 15 लाख (1 लाख प्रति व्यक्ति) का कवर मिलता है। प्रॉपर्टी में नुकसान होने पर 2 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकेगा।
सिलेंडर खरीदते वक्त ही हो जाता है इंश्योरेंस
सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका इंश्योरेंस हो जाता है जो सिलेंडर की एक्सपायरी से जुड़ा होता है। अक्सर लोग सिलेंडर की एक्सपायरी डेट चेक किए बिना ही इसे खरीद लेते हैं। ऐसी स्थिति में आप इंश्योरेंस के लिए क्लेम करने के हकदार नहीं रह जाते हैं।
सिलिंडर की एक्सपायरी डेट का रखें ध्यान
हर गैस सिलेंडर पर जहां रेगुलेटर लगाया जाता है, वहां पर D-20 या ऐसा ही कुछ लिखा होता है। यह गैस सिलिंडर की एक्सपायरी डेट होती है। यहां पर D-20 मतलब है कि गैस सिलेंडर की एक्सपायर डेट दिसंबर 2020 है। इसके बाद गैस सिलेंडर का उपयोग करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे सिलिंडर में गैस लीकेज और अन्य तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। गैस सिलिंडर के सबसे ऊपर रेगुलेटर के पास जो तीन पट्टी होती है, उन में से किसी एक पर A, B, C, D लिखा होता है।
गैस कंपनी हर एक लेटर को 3 महीनों में बांट देती है। यहां पर A का मतलब जनवरी से मार्च और B का मतलब अप्रैल से जून तक होता है। इसी तरह से C का मतलब जुलाई से लेकर सितंबर और D का मतलब अक्टूबर से दिसंबर तक का होता है। अगर आपने गैस सिलिंडर एक्सपायरी डेट के बाद खरीदा है तो उस यह कोई क्लेम नहीं बनता।
इंश्योरेंस कवर लेने के लिए ये भी जरूरी
इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए जरूरी शर्त यह है कि मुआवजा राशि तभी दी जाएगी जब हादसा किसी रजिस्टर्ड निवास पर हुआ है। घटनास्थल वाले आवास का पता पंजीकृत होना जरूरी है। यह घटना जिस भी शख्स के साथ हुई हो, उसके परिवार वाले इसी नियम के दायरे में माने जाएंगे।
इंश्योरेंस का पूरा खर्च उठाती हैं संबंधित ऑयल कंपनियां
सिलेंडर पर मिलने वाले इंश्योरेंस का पूरा खर्च संबंधित ऑयल कंपनियां उठाती हैं। दरअसल पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तथा भारत पेट्रोलियम के वितरकों को यह बीमा कराना पड़ता है। इन लोगों को ग्राहकों और अन्य प्रॉपर्टीज के लिए थर्ड पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेना होता है।
बीमा कवर की रकम पाने का ये है पूरा प्रॉसेस
- सबसे पहले लोकल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाएं।
- अपने गैस डिस्ट्रीब्यूटर को एफआईआर की एक प्रति सौंप दें।
- आपका डिस्ट्रीब्यूटर एफआईआर को तेल कंपनी के पास ट्रांसफर करेगा।
- अब बीमा कंपनी की एक टीम जांच के लिए घटनास्थल पर आएगी।
- जांच करने और सिलिंडर से हुए नुकसान का पता लगाकर क्लेम की राशि यही टीम तय करेगी।
- तेल कंपनी क्लेम की राशि अपने वितरक के पास भेजेगी, जो बाद में ग्राहक या फिर उसके परिवार के लोगों को दिया जाएगा।
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