2000 से ज्यादा ऑन लाइन विक्रेताओं ने अमेजन के खिलाफ दायर किया मामला, डिस्काउंट में पक्षपात का आरोप

2000 से अधिक ऑनलाइन विक्रेताओं के एक समूह ने भारत में अमेज़न के खिलाफ एक एंटीट्रस्ट मामला दायर किया है। इसमें अमेरिकी कंपनी अमेजन पर आरोप लगाया गया है कि वह कुछ रिटेल विक्रेताओं के पक्ष में है। इसके मुताबिक ऑनलाइन डिस्काउंट से इंडीपेंडेंट्स विक्रेता व्यापार से बाहर निकल जाते हैं। यह मामला भारत में अमेजन के लिए एक नई रेगुलेटरी चुनौती पेश कर सकता है। भारत में 6.5 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताने के बाद अब अमेजन एक जटिल रेगुलेटरी दिक्कतों से जूझ रहा है।

जनवरी में भी जांच का आदेश दिया गया था

जानकारी के मुताबिक, जनवरी में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन और कुछ डिस्काउंटिंग मामले को लेकर वॉलमार्ट के मालिकाना हक वाली अमेजन और प्रतिद्वंदी फ्लिपकार्ट की जांच का आदेश दिया था, जिसे अमेजन चुनौती दे रहा है। ताजा मामले में अमेजन और फ्लिपकार्ट पर सामान बेचने वाले ऑल इंडिया ऑनलाइन वेंडर्स असोसिएशन ने अमेजन पर उसे अनुचित कारोबारी प्रथाओं (unfair business practices) में लगे होने का आरोप लगाया है।

सीसीआई के पास अगस्त में फाइल की गई शिकायत

समूह का आरोप है कि अमेजन इंडिया की थोक शाखा (wholesale arm) निर्माताओं से थोक में सामान खरीदती है और उन्हें क्लाउडटेल जैसे विक्रेताओं को नुकसान में बेचती है। इसके बाद ऐसे सेलर्स बड़ी छूट पर अमेज़न पर सामान ऑफर करते हैं। इस समूह ने सीसीआई को अगस्त की फाइलिंग में आरोप लगाया कि यह विरोधी प्रतिस्पर्धी अरेंजमेंट (anti competitive arrangement) विक्रेताओं को बाजार से बाहर कर प्रतिस्पर्धा करने में बाधक बन रहा है।

आनेवाले हफ्तों में होगी इसकी समीक्षा
अमेजन ने पहले ही कहा है कि यह सभी भारतीय कानूनों का पालन करता है। सभी विक्रेताओं के साथ अपने प्लेटफॉर्म पर समान रूप से व्यवहार करता है। एक क्लाउड टेल के प्रवक्ता ने कहा कि यह अपने संचालन में सभी लागू कानूनों का पालन कर रहा है। भारतीय अदालती मामलों के विपरीत, सीसीआई द्वारा समीक्षा किए गए मामलों की फाइलिंग और डिटेल्स सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। आने वाले हफ्तों में सीसीआई इस मामले की समीक्षा करेगी और व्यापक जांच शुरू करने या इसे खारिज करने का फैसला कर सकती है ।

पिछले साल भारी डिस्काउंट पर नियम कड़े किए गए थे

विक्रेता समूह के वकील चाणक्य बासा ने सीसीआई के साथ केस फाइलिंग की पुष्टि की लेकिन विस्तार से बताने से मना कर दिया। भारत के नियम अमेज़न को एक ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस संचालित करने की अनुमति देते हैं जहां सेलर्स फीस के लिए माल की सूची बना सकते हैं। भारत ने पिछले साल भारी डिस्काउंट को रोकने के लिए नियमों को कड़ा कर दिया था। हालांकि छोटे विक्रेताओं का अभी भी कहना है कि अमेज़न प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए जटिल व्यापार स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते रहता है। हालांकि कंपनी ने इससे हमेशा इनकार किया है।

अमेजन कुछ विक्रेताओं से कम चार्ज लेता है

700 से अधिक पेज वाले मामले में अमेज़न की वेबसाइट, किराने का सामान और डिटर्जेंट सहित कुछ उत्पादों और लिस्टिंग के स्क्रीनशॉट शिकायत में जोड़े गए हैं। इसमें वेबसाइट पर दिखाई कीमतों की तुलना में ई कॉमर्स पर 8 प्रतिशत से 45 प्रतिशत तक की छूट दिखाई गई है। विक्रेता समूह का यह भी आरोप है कि अमेजन कुछ विक्रेताओं से कम शुल्क लेता है। इससे स्वतंत्र ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए अपनी वेबसाइट पर प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है।

अमेजन भारत में 6.5 लाख विक्रेताओं को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म देता है

समूह ने अपनी फाइलिंग में आरोप लगाया कि अमेजन के सबसे बड़े भारत विक्रेताओं में से एक क्लाउडटेल, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए 6.3 प्रतिशत का शुल्क अमेज़न को देता है। जबकि स्वतंत्र विक्रेता लगभग 28.1 प्रतिशत का भुगतान करते हैं। अमेजन ने कहा है कि वह भारत में 6.5 लाख से अधिक विक्रेताओं को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रदान करने में मदद करता है जो सामानों की लिस्टिंग करते समय अपने मूल्य तय करने का फैसला करते हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेजन के सबसे बड़े भारत विक्रेताओं में से एक क्लाउडटेल, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए 6.3 प्रतिशत का शुल्क अमेज़न को देता है। जबकि स्वतंत्र विक्रेता लगभग 28.1 प्रतिशत का भुगतान करते हैं


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3liolA9
via ATGNEWS.COM

Post a Comment

0 Comments